Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग-5 (First Day)

Chapter-3: First Day


हर वो चाह ख़तम हो जाती है , जिसकी हमे तमन्ना होती है...सपने हमारी बुरी हक़ीक़त के सामने दम तोड़ देते है और बचता है तो सिर्फ़ रख ,यादों की राख ,जिसके सहारे हम फिर अपनी बाकी की ज़िंदगी गुज़ारते है, कभी -कभी आपके साथ ऐसा कुछ हो जाता है जिसकी आपने कभी कल्पना तक नही की होती है....


"कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."मेरा भाई मुझे जाते हुए नसीहत दे रहा था वो भी बड़े प्यार से...


"जी भाई..."


"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."


"जी भाई..."


"और यदि लड़ाई झगड़े की एक भी खबर घर पर आई तो उसी वक़्त तेरा टी.सी. निकलवा दूँगा समझा..."


"जी भाई..."मेरा भाई मुझे ठीक उसी तरह समझा रहे थे ,जैसे कि आर्मी का कर्नल अपने जवानों को समझाता है.


विपेन्द्र भैया मुझे कॉलेज मे छोड़ने आए थे, और मेरे लाख मना करने के बावजूद मेरे रहने का इंतज़ाम हॉस्टल मे कर दिया था और अभी जाते वक़्त मुझे सब बता के जा रहे थे कि मुझे क्या करना है और क्या नही करना है.....भाई के जाने के बाद मैं वापस हॉस्टल आया, इस दौरान जो एक बात मेरे मन मे खटक रही थी , वो थी कल हमारी होने वाली रैगिंग , कुछ दिनो पहले ही न्यूज़ पेपर मे पढ़ा था कि एक स्टूडेंट ने रैगिंग  से तंग आकर अपनी जान दे दी थी....


कॉलेज वालो ने एक अच्छा काम किया था और वो था कि फर्स्ट ईयर का हॉस्टल हमारे सीनियर्स के हॉस्टल  से अलग था, लेकिन शाम होते-होते तक पूरे हॉस्टल  मे ये खबर फैल गयी कि आज रात को 10 बजे सीनियर्स हॉस्टल मे रैगिंग लेने आएँगे, जब से ये सुना था, दिल बुरी तरह धड़क रहा था, हर आधे घंटे मे पानी पीने के बहाने निकलता और देख कर आता कि कही कुछ हुआ तो नही है, वो पूरी रात साली मेरी ज़िंदगी की सबसे खराब रातो मे से एक  थी,...पूरी रात मैं चैन से नही सो पाया, पर उस रात कोई नही आया और दूसरे दिन मेरी नींद मेरे रूम को किसी ने खटखटाया तब खुली....



"बहुत बेकार सोता है बे..."एक लड़का अपना बैग लिए रूम के बाहर खड़ा था, और फिर मुझे पकड़ कर बाहर खींच लिया,

"ये, ये क्या कर रहा है..."मैने झल्लाते हुए बोला

"चल मेरा समान उठवा यार...बहुत भारी है...."

"तू भी इसी रूम मे रहेगा..."

"बिल्कुल सही समझा, और मेरा नाम है अरुण...."

"अरमान..."मैने हाथ मिलाते हुए उससे कहा, और जब उसका पूरा समान रूम के अंदर आ गया तो मैं नहाने के लिए चल दिया...


आज उस आदत को छोड़े हुए तो बहुत दिन हो गये, लेकिन उस समय मेरी एक अजीब आदत थी, मैं जिस भी लड़के से मिलता तो सबसे पहले यही देखता कि वो मुझसे ज़्यादा हैंडसम  है या नही, और अरुण को देखकर मैने खुद से चीख-चीख कर यही कहा था कि "मैं इससे ज़्यादा हैंडसम  हूँ...."


"तू आज कॉलेज नही जाएगा क्या..."कॉलेज के लिए तैयार होते हुए मैने अरुण से पूछा.. अरुण कद काठी मे मेरे जितना ही था, लेकिन उसका रंग कुछ सावला था....


"जाऊंगा ना... क्यूँ...?"

"9:40 से कॉलेज शुरू है..."

"तो...."बिस्तर पर पड़े पड़े उसने कहा...

"तो , तैयार नही होगा क्या ,9:20 तो कब के हो गये..."


"देख, मैं कोई लौंडिया तो हूँ नही , जो पूरे एक घंटे तैयार होने मे टाइम लगा दूँ और वैसे भी मैं घर से नहा के चला था तो आज नहाने का सवाल ही नही उठता..."

"लग गयी इसे हवा..."


इसके बाद मैने इतना देखा कि , 9:30 बजते ही उसने अपना बैग उठाया और रूम मे लगे शीशे मे एक बार अपना चेहरा देखकर सिर के बालो को इधर उधर किया और मेरे साथ हॉस्टल  से बाहर आ गया....


फर्स्ट ईयर  की क्लासेस मे थोड़ा चेंज किया गया था, सीनियर्स हमारी रैगिंग  ना ले पाए ,इसलिए हमारी क्लास को एक घंटे पहले ही शुरू कर दिया था और सीनियर्स की क्लास छूटने के एक घंटे पहले ही हमारा डे ऑफ हो जाता था.....लेकिन कुछ सीनियर्स ऐसे भी होते है जिनके पिछवाड़े मे ज़्यादा खुजली होती है और वो हमारी टाइमिंग मे ही कॉलेज आ जाते थे,...


"अबे तेरी ब्रांच कौन सी है..."रास्ते मे मैने उससे पुछा...

"मैकेनिकल ..."अरुण ने जवाब दिया,

"मेरी भी मैकेनिकल ..."थोड़ा खुश होते हुए मैने कहा"मतलब कि हम दोनो एक ही क्लास मे बैठेंगे..."

"अबे रुक..."मुझे अरुण ने रोका, हम उस समय कॉलेज से थोड़ी ही दूर मे थे, या फिर कहे कि हम कॉलेज पहुच गये थे...

"क्या हुआ..."

"उधर देख, कुछ सीनियर्स खड़े है...पीछे के रास्ते से चल..."

"तुझे मालूम है दूसरा रास्ता..."

"अरुण सर को  सब मालूम है , मै अंतर्यामी हूँ...चल आजा..."हम दोनो ने वही से टर्न मारा और कुछ देर पीछे चलने के बाद झाडी झुंझाटी मे उसने मुझे घुसा दिया....

"तुझे पक्का मालूम है रास्ता..."

"अबे मेरे भाई के कुछ दोस्त यहाँ से पास आउट हुए है , उन्होने ही मुझे बताया था इस रास्ते के बारे मे...."



जैसे तैसे करके हम दोनो आगे बढ़ते रहे और फिर मुझे कॉलेज की दीवार भी दिखने लगी, कॉलेज के अंदर जाने का एक और रास्ता है, ये मुझे अरुण ने बताया था...जब हम दोनो उस झाड़ियों वाले रास्ते से निकल कर बाहर आए तो मुझे वो गेट दिखा , जिसके बारे मे अरुण ने कहा था, वो गेट कॉलेज मे काम करने वाले वर्कर्स के लिए था, जिनका घर वही पास मे था.....


"कोई फ़ायदा नही हुआ, "अरुण बोला "वो देख साली सीनियर गर्ल्स खड़ी है, लिए डंडा..."


दुनिया मे 99 % लड़किया खूबसूरत होती है और जो 1 % बचती है वो आपके कॉलेज मे रहती है, उसमे भी जो सबसे ख़राब 1 % रहती है वो आपकी क्लास मे फंसती है.. ऐसा मैने कही सुना था, लेकिन मेरी आँखो के सामने अभी 5-6 सीनियर लड़किया खड़ी थी , जो एक से बढ़कर एक थी, उन 5-6 सीनियर गर्ल्स को देखकर ही ऐसा लगने लगा था मेरा केस एकदम उलटा है और दुनिया की 99 % खूबसूरत लड़किया मेरे कॉलेज मे ही पढ़ती हो....


"यार, क्या माल है..."मैने अरुण से कहा...


"चुप कर और उन्हे देखे बिना सीधे चल, यदि पकड़ लिया तो बहाल कर देंगी..."


"अबे ये लड़किया है, इतना क्यूँ डर रहा है...घुमा के दूँगा एक हाथ तो सब बिखर जाएँगी यही..."मैं मर्दाना आवाज़ मे बोला


,
"अभी तो तू इनको बिखेर देगा, लेकिन जब इन्ही लड़कियो के पीछे पूरे सीनियर्स आएँगे तब क्या करेगा...."


"फाइनली करना क्या है, ये बता..."


"कुछ नही करना बस चुप चाप अंदर घुस जाना..."


"डन..."मैने ऐसे कहा जैसे कोई बहुत बड़ा मिशन पूरा कर लिया हो.


हम दोनो उन लड़कियो की तरफ बिना देखे सामने चले जा रहे थे, और जब हम ने उन लड़कियो को क्रॉस किया तो उस समय दिल की धड़कने बढ़ गयी, मन मचल रहा था कि उनको देखु, उनके सीने को देखकर अपने सीने के अरमान पूरा करूँ...लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया और चुप चाप सामने देखकर चलता रहा....


"ओये... माँ दे लाड़लो .."हम बस गेट से अंदर ही घुसने वाले थे कि उन लड़कियो ने आवाज़ दी....


"शायद मेरे कान बज रहे है..."


"नही बेटा ,ये कान नही बज रहे है , ये उन गोरी-गोरी चुहियों  की आवाज़ है..."


"तो अब क्या करे, तेज़ी से अंदर भाग लेते है, कॉलेज के अंदर वो रैगिंग  नही ले पाएँगी..."


"अभी भागने का मतलब है इनका ध्यान खुद की तरफ खींचना, बाद मे ये और भी बुरी तरह से रैगिंग  लेंगी..."


"फाइनल बता , करना क्या है..."मेरे कदम वही रुक गये थे और पसीने से बुरा हाल था, उस वक़्त मैने सोचा था कि शायद अरुण मे थोड़ी हिम्मत होगी,लेकिन जैसे ही उसको देखा , तो जो मेरे मुँह  से निकला वो ये था...


"साला, ये तो मुझसे भी ज़्यादा डरा हुआ है...."


"मा दे लाड़लो , सुनाई नही  देता है क्या... तुम दोनो को इधर आओ..."जिन लड़कियो को कुछ देर पहले मैं स्वर्ग की अप्सरा समझ कर लाइन मारने की सोच रहा था ,वो अब नरक की चुड़ैल बन गयी थी...


"जी...जी...मैम , आपने हमे बुलाया..."अरुण उनके पास जाकर बोला, मैं उसके पीछे खड़ा था..


"तू हट बे, कालिये ..."अरुण को ज़ोर से धक्का देकर उन चुड़ैलों  ने मेरी तरफ देखा...


"और चिकने क्या हाल है..."


"सब बढ़िया...आप बताओ "काँपते हुए मैने कहा, उस समय मैं पूरी तरह पसीने से भीग चुका था...


"सिगरेट पिएगा..."उनमे से एक लड़की ने सिगरेट निकाली और मेरी तरफ बढ़ाकर पूछी ..



मैने एक दो बार सिगरेट पी थी, लेकिन किसी दूध पीते बच्चे की तरह, कश खींचा और फिर धुए को बाहर फेक दिया....मैं यहाँ ये सोच कर आया था कि जिस तरह मैं हमेशा से स्कूल मे टॉपर था , उसी तरह यहाँ भी टॉप करूँगा, और सिगरेट , शराब और लड़की को बस दूर से देखकर मज़ा लूँगा....


"चल सिगरेट जला..."उन चुड़ैलों मे से एक चुड़ैल ने सिगरेट मेरे मुँह  मे फँसा दी और तभी मेरे मन मे  मेरे बड़े भाई के द्वारा कही गयी बात आई...


"यदि सिगरेट और दारू को छुआ भी तो सोच लेना..."


"जी भाई..."


"मैं सिगरेट नही पीता सॉरी..."उन लड़कियो ने जो सिगरेट मेरे मुँह  मे फँसाई थी उसे एक झटके मे मैने मुँह  से निकाल कर ज़मीन पर फेक दिया, जिससे उनका पारा आसमान टच कर गया...


"क्यूँ बे लौडे,तू क्या समझा कि पीछे के रास्ते से आएगा तो बच जाएगा और तुझमे इतनी हिम्मत कहाँ से आई जो तूने सिगरेट को फेक दिया..."


उनके मुँह  से गाली सुनी तो मुझे यकीन ही नही हुआ कि एक लड़की भी गाली दे सकती है, मैं आँखे फाड़-फाड़ के उन लड़कियो को देख रहा था....तभी उनमे से किसी का फोन बजा और वो सब चली गयी लेकिन जाते-जाते उन्होने मुझे धमकी दे डाली कि वो मुझे इस कॉलेज से भगाकर रहेगी.......


"तेरी तो लग गयी बेटा...."उनके वहाँ से जाने के बाद अरुण मेरे पास आया...


"अब क्लास चले..."


जब तक हम क्लास के अंदर नही पहुचे अरुण रैगिंग  के बारे मे बता-बता कर डराता रहा, लेकिन मैं ऐसे रिएक्ट कर रहा था ,जैसे कि मुझे कोई फरक ही ना पड़ता हो ,लेकिन असलियत ये थी कि ये सब सिर्फ़ एक दिखावा था, मैं खुद भी अंदर से बहुत ज़्यादा डरा हुआ था....


"वो देख उस चश्मे वाली को, देसी आम लग रही है, एक बार खाने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए..."


शरीफ  तो मैं भी नही था, लेकिन इस तरह खुले मे सबके सामने ऐसी बाते करने से मैं परहेज करता था , जिससे सबको अक्सर यही भ्रम होता था कि मैं बहुत बड़ा शरीफ  हूँ और अक्सर मेरे एग्जाम के रिज़ल्ट इस बात पर मुहर लगा देते थे...लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि मेरा जितना भी अच्छा वक़्त था वो ख़तम हो चुका था और मैं यहाँ अपनी ज़िंदगी की जड़े खोदने आया था.....


"फर्स्ट क्लास किसकी है...."मैने अरुण से पुछा,...


"अबे, मेरा भी आज पहला दिन है. मुझे कैसे पता होगा...और अभी से भेजा मत खा..."


फर्स्ट ईयर  मे सभी ब्रांच वालो का कोर्स सेम होता है, इसलिए दो-दो ब्रांच वालो को एक साथ अरेंज किया गया था, मेरी और अरुण की ब्रांच मैकेनिकल  थी , लेकिन हमारे साथ माइनिंग ब्रांच के भी स्टूडेंट्स थे, और मुझे जो एक बात मालूम चली वो ये थी कि ,मुझे सिर्फ़ अपने ब्रांच के सीनियर्स से डरने की ज़रूरत है और मैं हॉस्टल  मे रहता हूँ तो इसलिए मेरी रैगिंग  केवल हॉस्टल  के सीनियर्स ले सकते है, जो सीनियर लोकल है या फिर सिटी मे रहते है, वो यदि तुम्हारी रैगिंग  लें तो तुम उन्हे पेल सकते हो और यदि सिटी वाले कोई लफडा करे तो हॉस्टल  वाले साथ देते है, ऐसा रूल वहाँ चलता था..... ये कही लिखा तो नही था पर रैगिंग लेने का हमारे कॉलेज का यही  नियम  था. मेरा मतलब अनऑफिसियली, ऑफिसियली  था ये....


"कुछ भी बोल अजय , लेकिन कॉलेज मस्त है, यहाँ की माल भी मस्त है..."पीछे वाले बेंच पर अपने दोनो हाथ टिका कर अरुण बोला, इतने देर मे शायद वो मेरा नाम भूल गया था....


"अरमान,  ना की अजय..."


"ले ना यार अब खा मत..."


"पता नही किससे पाला पड़ा है..."मैं बड़बड़ाया और फिर सामने देखने लगा....


To Be Continued.........


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9 Comments

shweta soni

21-Jul-2022 01:42 PM

Nice 👍

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Rohan Nanda

16-Dec-2021 11:59 AM

🙄🙄

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Sana Khan

05-Dec-2021 08:16 AM

Good

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